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Tuesday, 31 January 2023

आसान भाषा में "Indian Direct Selling Guideline" को समझें !!


 

NEW DIRECT SELLING GUIDELINES IN INDIA

Direct Selling Guidelines are issued by Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution and Department of Consumer Affairs on 9, Sep 2016. These are issued as guiding principles for State Governments to consider regulating the business of "Direct Selling" and Multi-Level Marketing (MLM) in India.

Note: The document providing by me is simplified version of guidelines released by Indian Government in Hindi. The purpose is just educate our visitor about MLM & Direct Selling Guidelines. There may be certain difference in this simplified version. But, our only aim is to provide accurate information.

धारा 1: परिभाषा 

Guideline के पहले Clause यानी धारा में डायरेक्ट सेलिंग और पिरामिड स्कीम जैसे बहुत से शब्दों की परिभाषा दी गई है। Guideline के उलंधन पर Consumer Protection Act 1986 के तहत कार्यवाही होगी । Guideline को समझने से पहले इन शब्दों की परिभाषा समझना जरुरी है । 

Direct Seller: डायरेक्ट सेलर वह होता है,जो डायरेक्ट सेलिंग कंपनी से आधिकारिक रूप से जुड़ता है,और कंपनी के प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री करता है। डायरेक्ट सेलर को आप कंपनी का प्रतियोगी कह सकते है। 

Network of Direct Seller : डायरेक्ट सेलर नेटवर्क में बहुत से लोग किसी कंपनी से बतौर डायरेक्ट सेलर अलग-अलग लेवल पर जुड़े होते है। जैसे कोई व्यक्ति किसी को अपनी कंपनी में बतौर डायरेक्ट सेलर लाता है, तो वो दोनों एक नेटवर्क का हिस्सा है। बस नेटवर्क में कोई उपर तो कोई नीचे होता है। Direct Selling: मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और प्रोडक्ट/ सर्विस को बेचना डायरेक्ट सेलिंग के अधीन आता है ।

Direct Selling Entity : डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को ही Direct Selling Entity कहते है। जो की पिरामिड स्कीम में ना आती हो और पूरी तरह से प्रोडक्ट/ सर्विस आधारित हो।

Product/Service : प्रोडक्ट/सर्विस बेचने लायक होनी चाहिए,जो Expire ना हो । वही समय और जगह के अनुसार बेची जा सके | Product/Service पर ही डायरेक्ट सेलिंग कंपनिया चलती है। Product/Service की किमत क्वालिटी अनुसार होनी चाहिए।

Cooling-Off Period : यह समय अवधि है, जब डायरेक्ट सेलर किसी कंपनी से धारा 4 के तहत समझौता करता है और उस दिन तक जब डायरेक्ट सेलर के बीच समझौता खत्म होता है, इस बिच डायरेक्ट सेलर कोई भी अपराधिक मामला किये बिना समझौता खत्म करता है.

Pyramid Scheme : पिरामिड स्कीम वे होती है,जो MLM के नाम पर चलती है,पर वास्तव में MLM या डायरेक्ट सेलिंग कंपनी नही होती है। पिरामिड स्कीम गैर कानूनी होती है। पिरामिड स्कीम में और लोगो को जोड़ने पर निश्चित राशि देने का नियम होता है। पिरामिड स्कीम डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की तरह प्रोडक्ट/सर्विस आधारित नही होती है,उनका प्रोडक्ट/सर्विस सिर्फ दिखाने के लिए होता है।

Consumer : उपभोक्ता वो होता है,जो कंपनी के प्रोडक्ट/सर्विस को इस्तमाल करता है। उपभोक्ता को कंपनी से डायरेक्ट सेलर जोड़ता है और कोई भी उपभोक्ता डायरेक्ट सेलर बन सकता है।  

डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के गुण 

Direct Selling Guidelines के अनुसार अगर कंपनी में ये गुण नही है, तो यह MLM/डायरेक्ट सेलिंग के अधीन ना आकर पिरामिड स्कीम कही जाएगी। 

(a)     कंपनी में पहले से निश्चित नही होना चाहिए, कि इतने लोगो को जॉइन करवाने पर इतना पैसा दिया जाएगा। अगर कंपनी पहले ही ये बताती है, तो वो पिरामिड स्कीम है। क्योंकि रेफेरल इनकम नीचे जुड़ने वाले लोगो की बिक्री पर निर्भर करती है, उसके अनुसार कुछ प्रतिशत मुनाफा तय होता है। इसलिए पहले से कोई अनुमान नही लगा सकते है,की नया डायरेक्ट सेलर कितनी बिक्री करेगा।

(b)     कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर से निश्चित रूप से प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री की उम्मीद नही कर सकती है। यह डायरेक्ट सेलर पर निर्भर करता है, की वह कितनी बिक्री कर सकता है। इसलिए कंपनी मात्रा और राशि अनुसार निश्चित बिक्री हर डायरेक्ट सेलर के लिए तय नहीं कर सकती ।

(c)      कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर से किसी भी तरह की फ़ीस किसी भी नाम से नही ले सकती है। डायरेक्ट सेलर को कंपनी से सिर्फ प्रोडक्ट/सर्विस लेने के पैसे देने होते है। कंपनी एंट्री फीस लेती है, तो वह भी गैर कानूनी है।

(d)      कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर को समय-अवधि देती है, जिसमे वह कभी भी कंपनी को छोड़ सकता है। और किसी भी तरह का रिफंड उसका बकाया नही रहेगा।

(e)      डायरेक्ट सेलर के कहने पर कंपनी को प्रोडक्ट/सर्विस को वापस लेना पड़ेगा, अगर प्रोडक्ट/सर्विस बेचने योग्य रहती है।

(f)      वही कंपनी को डायरेक्ट सेलर और उपभोक्ताओं से आने वाली शिकायतों और समस्याओं का सुझाव जल्द से जल्द करना होगा । 

Remuneration System : कंपनी को पहले ही अपने डायरेक्ट सेलर के साथ इनकम प्लान और किस प्रकार कमीशन मिलेगा, ये बताना होगा । कंपनी को पहले ही किस तरह और कितना पेआउट है । इस पर पूरी जानकारी देनी होगी । 


(a)      कंपनी पहले से निश्चित नही कर सकती, कि इतने लोगों को जोड़ने पर इतना पैसा मिलेगा। ऐसा करने वाली कंपनी पिरामिड स्कीम है।


(b)      डायरेक्ट सेलर की प्राथमिक कमाई उनके और उनके नेटवर्क के द्वारा किये जाने वाली प्रोडक्ट और सर्विस की बिक्री पर ही होनी चाहिए ।


(c)      कंपनी को डायरेक्ट सेलर को "कितना कमीशन किस प्रोडक्ट की कितनी बिक्री पर मिलेगा" पूरा प्लान पहले ही बताना होगा। 

धारा 2: डायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस की स्थापना के लिए शर्ते

किसी भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के शुरू होने के 90 दिनों में इन शर्तों और प्रक्रिया को पूरा करना होगा :-

         (a)      कंपनी को सबसे पहले भारत सरकार के अंतर्गत रजिस्टर होना होगा।

(b)      कंपनी को अपने लीडर और डायरेक्ट सेलर के लिए एक मीटिंग करनी होगी । जिसमें उसे कंपनी की सारी जानकारी बिज़नेस प्लान के साथ सटीक ढंग से समझानी होगी। जिससे वे डायरेक्ट सेलर नए डायरेक्ट सेलर को समझा सके।

(c)      कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर के सारे अधिकार और कर्तव्य बताने होंगे। 

(d)      कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर की सारी बकाया राशि को चुकाना होगा । 

(e)     कंपनी को डायरेक्ट सेलर को प्रोडक्ट/सर्विस ना बिकने पर रिफंड प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी, जिसमे कंपनी वापस प्रोडक्ट लेगी और पैसा देगी । जो की डिस्ट्रीब्यूशन के 30 दिन तक ही मुमकिन है । 

(f)     कंपनी को डायरेक्ट सेलर को एक Cooling-off समय बताना होगा, जब डायरेक्ट सेलर प्रोडक्ट सर्विस वापस देना चाहता हो और वो प्रोडक्ट Cooling-off अवधि में ख़रीदा गया हो।

(g)      कंपनी के प्रबंधक और अध्यक्ष पदों पर मौजूद लोगो में किसी पर भी दंडनीय अपराध का मामला पिछले 5 साल तक किसी भी कोर्ट में ना रहा हो।

(h)      कंपनी का अपना राज्य में क्षेत्राधिकार कायार्लय होना जरूरी है। जहाँ से सभी प्रोडक्ट/सर्विस का लेन देन समस्यों का निवारण हो। 

धारा 3: डायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस चलाने के लिए शर्ते

1.       कंपनी द्वारा उप्लब्ध करवाये जाने वाले प्रोडक्ट/सर्विस के पहचान की जिम्मेदारी मालिक, ट्रेडमार्क चिन्ह, सेवा चिन्ह और अन्य पहचान चिन्ह के लाइसेंसधारक की होगी।

2.       कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर के लिए पहचान पत्र जारी करना होगा।

3.     कंपनी को स्वयं या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपने बिजनेस के प्रोडक्ट/सर्विस, संपर्क सूत्र, किमत, इनकम प्लान, डायरेक्ट सेलर की पूरी जानकारी रखनी होगी।

 (a)      कंपनी को समय-समय पर अपने डायरेक्ट सेलर की जानकारी अपडेट करनी होगी और संभालनी होगी।

(b)      डायरेक्ट सेलर की जानकारी में सत्यापित पता प्रमाण पत्र, पहचान पत्र और पैन की जानकारी शामिल होनी चाहिए।

4.    कंपनी की खुद की वेबसाइट होनी चाहिए। जिसमें कंपनी के संपर्क सूत्र, प्रबंधक, प्रोडक्ट और प्रोडक्ट की जानकारी, प्रोडक्ट क्वालिटी सर्टिफिकेट, कीमत, इनकम प्लान, कंपनी की नीति होनी चाहिए। इस वेबसाइट के सहारे ही 45 दिन में डायरेक्ट सेलर और उपभोक्ता की समस्या का समाधान होना चाहिए।

5.       कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर को कमिशन, बिक्री, बोनस, खरीदी समेत व्यापार की जानकारी समय-समय पर देनी होगी।

6.       कंपनी को डायरेक्ट सेलर पर मासिक निगरानी रखनी होगी। जिसमें कितने ख़रीददारी हुई इसपर नज़र रखी जायेगी। अगर खरीददारी की राशि वैट (Value Added Tax) सिमा से ज्यादा होगी, तो डायरेक्ट सेलर को वैट भुगतान के लिए सूचित किया जाएगा।

 7.       डायरेक्ट सेलिंग कंपनी :-

 (a)      गलत, अधूरी जानकारी और लालच देकर कंपनी में डायरेक्ट सेलर नही ला सकती है।

 

(b) कंपनी डायरेक्ट सेलर से ऐसे वादे नही कर सकती, जिनके पूरे होने की शत-प्रतिशत उम्मीद ना हो। यानी की कंपनी झूठे सपने दिखाकर लोगो को आकर्षित नही कर सकती है।

 

(c)   कंपनी डायरेक्ट सेलिंग की अच्छाई को गलत तरीके से और बड़ा-चढ़ाकर नही कह सकती है।


(d)    कंपनी इनकम प्लान और प्रोडक्ट/सर्विस का भृमित बखान नही कर सकती है।

(e)    कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर को भी गलत तरीके से और भृमित कर के कंपनी को दर्शाने का अधिकार नही दे सकती है।

 

(f)  धोखाधड़ी, ज़बरदस्ती, अतर्कसंगत या गैरकानूनी तरीके से कंपनी और डायरेक्ट सेलर प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री और नए डायरेक्ट सेलर नही ला सकती है।

 

(g)    डायरेक्ट सेलर से कोई लाभ उपलब्ध करवाने, एंट्री फीस, नवीकरण फीस या फिर डायरेक्ट सेल के लिए उपकरण लाने के नाम पर कंपनी पैसा नही ले सकती है।कंपनी सिर्फ प्रोडक्ट/सर्विस की खरीद पर ही अपने डायरेक्ट सेलर से पैसा ले सकती है। 


(h)    डायरेक्ट सेलर को कंपनी,कंपनी में किसी को जोड़ने पर पैसा नही दे सकती है। कंपनी पैसा नए डायरेक्ट सेलर द्वारा की गई प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री पर ही कुछ प्रतिशत दे सकती है । 


(i)     कंपनी मासिक रूप से अंशदान या नवीकरण फीस नही ले सकती है।

8.       कंपनी अपने डिस्ट्रीब्यूटर और डायरेक्ट सेलर द्वारा बिक्री के लिए इस्तमाल किये जाने वाली प्रणाली की जिम्मेदार होगी। चाहे उस व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में जोड़ा गया हो।

 

धारा 4: डायरेक्ट सेलर और कंपनी के बीच डायरेक्ट सेलिंग पर समझौता


1.       हर कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में एक समझौता करना होगा।


(a)     इस समझौते को Indian Contract Act, 1872 के सेक्शन 10 के तहत प्रस्तुत किया जाएगा।


(b)      डायरेक्ट सेलर और कंपनी के अधिकार और दायित्व इन दिशानिर्देश के अलावा Indian Contract Act 1872 के भी अधिकार और दायित्व भी शामिल होंगे।

2.       यह समझौता लिखित में होगा, जिसमे भागीदारी की मुख्य परिभाषा को बताया हो,


(a)      कंपनी डायरेक्ट सेलर को निश्चित इकाई में प्रोडक्ट/सर्विस को निश्चित समय सीमा में खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है।

 

(b)      कंपनी डायरेक्ट सेलर को समय सीमा देगी,जिसमे वह ख़रीदा हुआ प्रोडक्ट/सर्विस को वापस देकर अपना पैसा रिफंड ले सकता है।

 

(c)      कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर को नोटिस के साथ समझौता सम्पात करेगी, जब डायरेक्ट सेलर जुड़ने के बाद 2 साल तक कोई भी प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री नही करता है।

 

(d)      कंपनी के पास पूरी नीति होनी चाहिए,जिसमें डायरेक्ट सेलर द्वारा खरीदे प्रोडक्ट की बिक्री ना होने पर, डायरेक्ट सेलर उस प्रोडक्ट को कंपनी को वापस दे सके।अगर प्रोडक्ट बेचने योग्य रहता है तो। 

 

धारा 5: डायरेक्ट सेलर के कर्तव्य

 

1.      डायरेक्ट सेलर बिक्री के समय अपना पहचान पत्र साथ लेकर जाए। वही डायरेक्ट सेलर को बिना नियुक्ति/ अनुमति के उपभोक्ता के परिसर में नही जाना चाहिए।

2.      डायरेक्ट सेलर को बिक्री से पहले अपने उपभोक्ता के अनुरोध किये बिना ही खुद की पहचान, कंपनी की पहचान, प्रोडक्ट/सर्विस की जानकारी सत्यता और स्पृष्ट रूप में देनी होगी। 

3.       डायरेक्ट सेलर को उपभोक्ता को प्रोडक्ट/सर्विस, मूल्य, भुगतान/वापसी/गारंटी की शर्ते, बिक्री के बाद की सेवाओं को स्पृष्ट रूप से बताना होगा।

4.       बिक्री के समय उपभोक्ता को निम्न जानकारी दे :- 


(a)      डायरेक्ट सेलर को अपना नाम, पता, रजिस्ट्रेशन नंबर, टेलीफोन नंबर और कंपनी की जानकारी।

(b)      उपभोक्ता को दिए जाने वाले प्रोडक्ट/सर्विस का विवरण।

(c)      लेन-देन से पहले कंपनी के प्रोडक्ट/सर्विस की वापसी नीति की पूरी जानकारी ।

(d)      आर्डर की तारीख, उपभोक्ता द्वारा दी गयी कुल राशि, बिल और रसीद सहित ।

(e)      समय और जगह जहाँ प्रोडक्ट/सर्विस का विवरण किया हो और डिलीवर किया हो।

(f)     प्रोडक्ट/सर्विस को रद्द करने का अधिकार और अगर प्रोडक्ट बेचने योग्य हो, तो रिफंड              प्रकिया की जानकारी।

(g)      समस्या का निवारण करने की प्रक्रिया की जानकारी।

5.       डायरेक्ट सेलर के पास खुद का लिखित रिकॉर्ड होना चाहिए।जिसमे प्रोडक्ट,कीमत, टैक्स और मात्रा में प्रोडक्ट डायरेक्ट सेलर द्वारा बेचा गया होगा। जो नियम के अधीन हो।

6.       डायरेक्ट सेलर यह नही कर सकता :-

 (a)            गलत,अधूरी और भृमित कर व्यापार करना।

 

(b)            भृमित और गलत जानकारी से आकर्षित कर लोगो को अपने नेटवर्क में लाना।

 

(c)   उपभोक्ताओं से ऐसे वादे करना जो शत-प्रतिशत पूरे ना हो। उन्हें झूठे सपने दिखाकर बहकना।

 

(d)           अपने उपभोक्ता को डायरेक्ट सेलिंग की झूठे और कपटपूर्ण तरीके से अच्छाई बताना।

 

(e)      डायरेक्ट सेलिंग के समय जानबूझकर डायरेक्ट सेलर और कंपनी द्वारा गलत और भृमित प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री करना।

 

(e)       अपने नीचे जुड़ने वाले डायरेक्ट सेलर को ज़बरदस्ती ज़्यादा मात्रा में प्रोडक्ट ख़रीदने को मजबूर करना।


(g)     डायरेक्ट सेलर द्वारा सूची-पत्र (Prospectus) देना,जो की कंपनी द्वारा जारी किया गया ना हो।

 

(h)     उपभोक्ताओं को डायरेक्ट सेलिंग से जुड़ी प्रशिक्षण सामग्री या बिक्री हेतु उपकरण को खरीदने के लिए बाधित करना। 

 धारा 6: डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच संबंध

1.1  डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच के सम्बंध को लिखित समझौते से निर्धारित किया जाएगा। इंसमे डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच बिज़नेस चलाने के लिए दिशानिर्देश द्वारा बताए गए, जिसमें अधिकार और कर्तव्य शामिल है।

1.2     अन्य सभी अधिकार और कर्तव्य लिखित समझौते के अनुसार निर्धारित किये जाएगे।

1.3     डायरेक्ट सेलर द्वारा बेचे जाने वाले प्रोडक्ट/सर्विस पर आने वाली शिकायत की उत्तरदायित्व कंपनी होगी।

 

1.4     यह डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की जिम्मेदारी है,की किस तरह उसके डायरेक्ट सेलर काम कर रहे है। 

 धारा 7: उपभोक्ता के सरक्षण हेतु आवरण

 

1.      डायरेक्ट सेलर और डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को ही उपभोक्ता द्वारा दी गई निजी जानकारी के संरक्षण की जिम्मेदारी लेनी होगी।

2.        Consumer Protection Act 1986 के अधीन ही डायरेक्ट सेलर और कंपनी को मार्गदर्शित किया जाएगा।

3.     कंपनी के पास फोन, ईमेल, वेबसाइट, पोस्ट और व्यक्तिगत रूप से आने वाली शिकायतों की शिकायत संख्या होनी चाहिए, जिससे समाधान होने की जानकारी पता चलती रहे।

4.       सभी समस्याओं और शिकायतों के निवारण के लिए कंपनी के पास संस्था होनी चाहिए, जो इनका निवारण करे। 

 (a)      शिकायत निवारण समिति में कम से कम तीन अधिकारी होने चाहिए। 

 

(b)     यह समिति ही समस्याओं को निवारण करेगी और कोई भी कार्यवाही लेने पर शिकायतकर्ता को सूचना देगी।

 

(c)    आम जनता कंपनी के किसी भी डायरेक्ट सेलर, कंपनी के अधिकारी या कर्मचारी के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकती है। 

(d)      ऐसी सभी शिकायतों का समाधान कंपनी खुद करेंगी। 

5.       कंपनी उपभोक्ता को खरीद कर निम्न जानकारी जरूर दे।

 (a)      खरीदने वाले और बेचने वाले का नाम। 

 (b)      प्रोडक्ट/सर्विस की डिलिवरी की तारीख। 

(c)      प्रोडक्ट/सर्विस को वापसी करने की प्रकिया।


(d)      त्रुटि के मामले में प्रोडक्ट को बदलने और वापसी की गारंटी। वही कोई भी डायरेक्ट सेलर ऐसा दावा नहीं करेगा, जो कंपनी निभा नही सकती है।

6.      कोई डायरेक्ट सेलर अगर ऑनलाइन प्रोडक्ट/सर्विस की बिक्री करता है,तो उसे पहले लिखित में कंपनी से लिखित में अनुमति लेनी होगी। 

धारा 8: पिरामिड स्कीम और पोंजी स्कीम पर रोक

 1.       कोई भी व्यक्ति धारा 1 के खंड 11 में बताई परिभाषा जैसी, पिरामिड स्कीम का समर्थन नहीं करेगा और किसी ओर व्यक्ति को पिरामिड स्कीम से जुड़ने को प्रेरित नही करेगा। 

 2.       कोई भी व्यक्ति डायरेक्ट सेलिंग के अवसर पर किसी भी Money Circulation Scheme में हिस्सा नही लेगा। 

 धारा 9: निगरानी प्राधिकरण की नियुक्ति

1.       उपभोक्ता और कंपनी के बीच मामले की निगरानी/जांच उस राज्य उपभोक्ता विभाग करेगी।

2.       राज्य सरकार स्वयं तंत्र बनाएगी,जो कंपनी और डायरेक्ट सेलर द्वारा दिशानिर्देश का पालन की निगरानी रखेगी।

3.       कंपनी जिस प्रदेश में डायरेक्ट सेलिंग बिज़नेस चला रही हो, उपभोक्ता विभाग को वचनपत्र भेजेगी।जिसमे वह दिशानिर्देश पालन करने का वचन देगी और अपने बिज़नेस की जानकारी समय-समय पर देती रहेगी। 


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